


कोरोना के बाद आयुर्वेद पर बढ़ा विश्वास, अब हर साल 23 सितंबर को मनाया जाएगा आयुर्वेद दिवस, स्वास्थ्य शिविरों में मरीजों का चेकअप किया गया। दवाएं वितरण की गईं। हर साल आयुर्वेद से इलाज का दायरा बढ़ रहा।
प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखती आयुर्वेद
आयुर्वेद न केवल शरीर को स्वस्थ रखने की पद्धति है, बल्कि यह एक जीवन शैली है जो प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखती है। कोरोना काल के बाद से लोगों का आयुर्वेद पर विश्वास तेजी से बढ़ा है। जिले में हर साल एक लाख 25 हजार लोग आयुर्वेद की ओपीडी में पहुंच रहे हैं। कारोना काल के बाद मरीजों की संया दो से ढाई गुना हुई है।
लोगों और ग्रह के लिए आयुर्वेद
आयुष मंत्रालय ने 2025 की थीम ‘ लोगों और ग्रह के लिए आयुर्वेद ’ तय की है। यह निर्णय आयुर्वेद के अंतरराष्ट्रीय प्रचार की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। संक्रमण से बचाव और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में आयुर्वेदिक उपायों ने अहम भूमिका निभाई। अब आयुर्वेदिक अस्पतालों में मरीजों की संया में 60 त्न तक की बढ़ोतरी देखी जा रही है।